Tuesday 17 May 2016

आईटीआई से व्यवसायिक शिक्षा: उज्ज्वल भविष्य की सटीक दिशा

कैरियर
आईटीआई से व्यवसायिक शिक्षा: उज्ज्वल भविष्य की सटीक दिशा
-राजेश कश्यप 

  • आईटीआई यानी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का हमारे कैरियर निर्माण में क्या योगदान है?
  • इसमें कौन-कौन से व्यवसायिक कोर्स होते हैं और उनमें क्या सिखाया जाता है?
  • इसमें दाखिला कब, कैसे और किस आधार पर लिया जा सकता है?
  • आईटीआई से कोर्स करने उपरांत कौन-कौन से अवसर मिल सकते हैं?

इस तरह की हर जिज्ञासा का समाधान इस लेख में देने का प्रयास किया गया है। इस लेख को जितना हो सके स्वयं भी पढ़ें और अन्य को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें, ताकि नई पीढ़ी को बेरोजगारी व बेकारी का दंश न झेलना पड़े।
-राजेश कश्यप ‘टिटौली’
(स्वतंत्र पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक)


देश में बेराजगारी और बेकारी की समस्या सिर चढ़कर बोल रही है। हर हाथ को काम देने के लिए सरकार ने कटिबद्धता दिखाई है। लेकिन, हर संभव कोशिशों के बावजूद बेरोजगारी एवं बेकारी की विकट समस्या से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। सरकारी नौकरियां सीमित हैं और बेरोजगारों की संख्या असीमित है। ऐसे में व्यवसायिक शिक्षा ही बेरोजगारी व बेकारी की समस्या से निजात पाने का प्रमुख विकल्प दिखाई देती है। व्यवसायिक शिक्षा में निपुण व्यक्ति बेरोजगारी व बेकारी के बोझ से सहज मुक्ति हासिल कर सकता है। यह उज्ज्वल भविष्य का सरल, सहज और स्पष्ट रास्ता है। लघु उद्योग से लेकर बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाईयों तक और सरकारी उद्यमों से लेकर गैर-सरकारी इकाईयों तक कुशल कारीगरों की माँग दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। इसके साथ-साथ स्व-रोजगार का मार्ग तो हर किसी के लिए हमेशा खुला ही रहता है। 

  व्यवसायिक शिक्षा की महत्ता को देखते हुए ही देशभर में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की गई हैं। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान व्यवसायिक शिक्षा की रीढ़ हैं और बेरोजगारी व बेकारी उन्मूलन का मूल आधार हैं। अतः किसी भी व्यवसाय में सफलता पाने अथवा उद्यम स्थापित करने, औद्योगिक इकाईयों में शानदार कैरियर बनाने अथवा स्व-रोजगार में कामयाबी हासिल करने के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान सबसे अचूक माध्यम हैं। इनमें युवाओं को उनकी योग्यता एवं रूचि के अनुसार चुने गए व्यवसाय में दक्ष किया जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जो युवा पूरी लगन, निष्ठा एवं उत्साह के साथ चयनित व्यवसाय का प्रशिक्षण लेता है, उसके बेरोजगार रहने की बहुत कम संभावनाएं होती हैं, क्योंकि वह उक्त व्यवसाय में पूर्ण दक्षता हासिल कर लेता है और ऐसे प्रशिक्षित युवाओं की असंख्य औद्योगिक इकाईयां या संस्थाएं बाट जोहती रहती हैं। 

बेरोजगारी को खत्म करने के लक्ष्य की पूर्ति के लिए ही सरकार ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आई.टी.आई.) की स्थापना की है। इन संस्थानों में सभी व्यवसायिक कोर्सों को अद्यतन किया गया है। इसके साथ ही कम्प्यूटर व अंग्रेजी भाषा में दक्षता हासिल करने के लिए अतिरिक्त व्यवस्था भी की गई हैं, ताकि प्रशिक्षणार्थी ग्लोबलाईजेशन के इस दौर में किसी भी स्तर पर पीछे न रहें। बड़ी-बड़ी प्रतिष्ठित औद्योगिक इकाईयां औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को गोद ले रही हैं और अपनी जरूरतों के हिसाब से युवा उद्यमियों को प्रशिशित करके सीधे भर्ती कर रही हैं। 


इन औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में असंख्य युवाओं को प्रतिवर्ष प्रशिक्षित करके आत्मनिर्भर बनने की राह सुझाई जाती है। ये औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान प्रत्येक राज्य सरकारों के माध्यम से संचालित किए जाते हैं। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण हेतु उन्हीं युवाओं को प्रवेश दिया जाता है जो निर्धारित योग्यता को पूरा करते हैं। इन संस्थाओं में मुख्यतः दो तरह के व्यवसाय संचालित किए जाते हैं:-

1. इंजीनियरिंग व्यवसाय

2. गैर इंजीनियरिंग व्यवसाय

इंजीनियरिंग व्यवसाय के अंतर्गत डाटा प्रिपरेशन एंड कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर व्यवसाय होता है, जिसमें कम्प्यूटर ऑपरेशन, डाटा एंट्री प्रोग्रामिंग, एप्लीकेशन पैकेजेज चलाने आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्लास्टिक प्रोसेसिंग के अंतर्गत प्लास्टिक के पुरजे, केन, प्लास्टिक सामान आदि बनान सिखाया जाता है। फीटर व्यवसाय में धातुओं के कल-पूर्जे बनाने, उनकी फिटिंग करने एवं औजारों की जानकारी संबंधी विषय पर बल दिया जाता है। टर्नर में खराद मशीनों द्वारा पुर्जे व चूड़ी बनाना एवं धातुओं को खरादकर गोल करने की कला सिखाई जाती है। मशीनिष्ट में ग्रेयर फिटिंग, घाट काटने आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। वाच एण्ड क्लोक रिपेयर व्यवसाय में हाथ घड़ी, दीवार घड़ी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स घड़ी की मरम्मत करना आदि सिखाया जाता है। इलेक्ट्रीशियन में बिजली संबंधी कल-पूर्जों का ज्ञान एवं मोटर वाईडिंग आदि का काम सिखाया जाता है। इस्ट्रूमैन्ट मैकेनिक व्यवसाय के अन्तर्गत सभी विद्युतीय, चुम्बकीय, वायु दाब मापीय, ताप मापीय एवं सूक्ष्म यंत्रों आदि का ज्ञान करवाया जाता है। 

रेफ्रीजरेशन एण्ड एयर कंडीशंड मैकेनिक व्यवसाय में रेफ्रीजरेटर, एयर कंडीशंड मैकेनिक आदि की कार्य प्रणाली में दक्षता प्रदान कराई जाती है। टूल एण्ड डाई मेकर में नए औजारों, कल-पूर्जों एवं फर्में बनाने की कला सिखाई जाती है। मिल राईट मेंट मैकेनिक व्यवसाय के अन्तर्गत मशीनों को खोलना-बांधना एवं उनकी मरम्मत आदि का काम सिखाया जाता है। ड्राफ्टसमैन मैकेनिक में यांत्रिक पूर्जों तथा मशीनों का आकार, नाप, ड्राईंगशीट पर बनाने तथा ब्लू प्रिन्ट तैयार करने की ट्रेनिंग दी जाती है।

ड्राफ्टसमैन सिविल के अंतर्गत भवनों, पुलों आदि का आकार, नाप ड्राईंगशीट पर बनाने व उसका ब्लू प्रिन्ट तैयार करने आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। सर्वेयर व्यवसाय के अंतर्गत भूमि के ऊपरी सतह, भीतरी भाग आदि की जांच पड़ताल एवं सर्वे करने, सड़क, रेलवे, पुल आदि के सर्वेक्षण संबंधी व्यवसाय में दक्ष किया जाता है। रेडियो एण्ड टीवी मैकेनिक के अंतर्गत रेडियो, टीवी, वीसीआर, टेपरिकार्डर आदि बनाने का काम व मरम्मत की कला सिखाई जाती है।

जनरल इलेक्ट्रोनिक्स मैकेनिक व्यवसाय के तहत बिजली उपकरणों जैसे कंडेसर, ड्योड, ट्रांजिस्टर, ट्रांसफार्मर, कैलकुलेटर, टेलीफोन बॉक्स, टीवी, वीसीआर, रेड़ियो, टेप रिकार्डर, डीवीडी आदि का निर्माण व उनकी मरम्मत का काम सिखाया जाता है।

वायरलेस ऑपरेटर व्यवसाय में ट्रांसमीटर संबंधी प्रशिक्षण दिया जाता है। वायरमैन में औद्योगिक भवनों में वायरिंग, विद्युत लाईन खींचने, उन्हें ठीक करने एवं आवश्यक मरम्मत करने आदि का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। मोटर व वाहन मैकेनिक व्यवसाय में पेट्रोल व डीजल से चलने वाली छोटी-बड़ी गाड़ियों की मरम्मत व पूर्जों का ज्ञान एवं उन्हें चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है।

गैर इंजीनियरिंग व्यवसायों स्टेनोग्राफी हिन्दी व अंग्रेजी व्यवसाय होते हैं, जिसमें भाषा को संक्षिप्त व सांकेतिक रूप प्रदान करने एवं टाईपिंग करने आदि की शिक्षा दी जाती है। टूरिज्म गाईड व्यवसाय के अंतर्गत सैलानियों को मार्गदर्शन कराने, घुमाने, जानकारी देने आदि का ज्ञान कराया जाता है। हेड कम्पोजीटर व्यवसाय में शब्दों को सांचे में सेट करके छपाई करने आदि के बारे में प्रशिक्षित किया जाता है। 


सेक्टेरियल पै्रक्टिस के अंतर्गत दफ्तरों में होने वाली कार्य प्रणालियों के बारे में प्रशिक्षित किया जाता है। लेटर मशीन माईडर व्यवसाय के अन्तर्गत मशीनों द्वारा कागज की छपाई का काम सिखाया जाता है। शीट मेटल वर्कर के तहत कपड़ों पर छपाई, रंगाई, रंग चढ़ाने, रंग उतारने आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। हैंड वीविंग ऑफ वुलेन फेब्रिक व्यवसाय में गरम कपड़ों को हाथ से बनाना सिखाया जाता है।

मोल्डर व्यवसाय में धातुओं को पिंघलाने व मांग के अनुसार सांचे में ढ़ालने आदि का काम सिखाया जाता है। कारपेंटर व्यवसाय के अन्तर्गत लकड़ी का सामान बनाने की कला सिखाई जाती है। प्लंबर व्यवसाय के तहत नल, पानी की लाईन, टंकी, टोंटी, वाल्ब आदि की मरम्मत एवं सेनेटरी फिटिंग का काम सिखाया जाता है। पेंटर जनरल व्यवसाय में पेंटिंग करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। केन बिलों एवं बैंबू वर्क व्यवसाय के तहत केन तथा बांस आदि का सामान बनाना सिखाया जाता है।

ड्रेस मेकिंग व्यवसाय के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के कपड़े, सूट, कमीज, सलवार, फ्रॉक आदि बनाने सिखाए जाते हैं। ब्यूटीशियन व्यवसाय के अन्तर्गत बालों व त्वचा को सुन्दर बनाने व शरीर को आकर्षक बनाने की कला सिखाई जाती है। एम्ब्रोयडरी व्यवसाय में पोशाकों पर तरह-तरह के डिजायन बनाने व कपड़ों को आकर्षक बनाने की कला सिखाई जाती है। 

कुल मिलाकर कहें तो व्यवसाय चाहे जो कोई भी हो, बेरोजगारी की समस्या को दूर करके आत्मनिर्भरता प्रदान करने का सशक्त माध्यम होता है और एक शानदार जिन्दगी जीने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। व्यवसाय में विशेष उपलब्धि हासिल करके सफलता की बुलन्दियों को आसानी से छुआ जा सकता है। 

औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा निश्चित समयावधि के बाद परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। परीक्षा में सफल प्रशिक्षणार्थी को राष्ट्रीय व्यवसायिक प्रशिक्षण परिषद की ओर से आई.टी.आई. व्यवसाय प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। आई.टी.आई से व्यवसाय का प्रशिक्षण लेने के बाद अगर प्रशिक्षणार्थी उसी टेªड में उच्च शिक्षा/प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहता है तो उसके लिए सरकार की तरफ से सेंट्रल ट्रेनिंग इन्स्टीटच्यूट (सी.टी.आई.) एण्ड एडवांसड ट्रेनिंग इन्स्टीटच्यूट (ए.टी.आई.) आदि का बंदोबस्त किया गया है। उच्च प्रशिक्षण प्रदान करने वाले इन संस्थानों में प्रशिक्षणार्थियों को मैरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। अतः आप अपनी योग्यता एवं रूचि के अनुसार व्यवसाय को चुनें और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में पूरी लग्न एवं निष्ठा के साथ प्रशिक्षण हासिल करें।

औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में व्यवसायिक प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षणार्थी को दो वर्षीय अप्रेन्टिसशिप जरूर करनी चाहिए। इससे उसकी योग्यता एवं व्यवसायिक दक्षता में वृद्धि होती है और उसे आसानी से औद्योगिक इकाईयों, संस्थानों, कंपनियों, रेलवे, बिजली, दूरसंचार आदि विभागों में सरकारी अथवा गैर-सरकारी नौकरी मिल सकती है। प्रशिक्षण के उपरांत स्व-रोजगार स्थापित करके भी अच्छी खासी सफलता हासिल की जा सकती है। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षित डिप्लोमाधारियों के लिए सेना में भी विशेष भर्तियां की जाती हैं। 

इतना ही नहीं लगभग सभी बड़े प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षुओं के लिए एन.सी.सी. (नैशनल कैडिट कॉरप्स) का प्रशिक्षण भी समायोजित किया गया है। व्यवसाय प्रशिक्षण के साथ साथ शारीरिक दक्षता प्राप्त कर प्रशिक्षु एन.सी.सी. का क्रमशः ‘ए’, ‘बी’, और ‘सी’ सर्टिफिकेट हासिल करके सीधे सेना में भी भर्ती होने के सुअवसर प्राप्त किया जा सकता है। एन.सी.सी. सर्टिफिकेट प्राप्त करने वालों के लिए सेना में विशेष भर्ती का आयोजन किया जाता है। अगर प्रशिक्षणार्थी ‘बी’ अथवा ‘सी’ सर्टिफिकेट कम से कम ‘बी’ ग्रेड में हासिल करता है तो उसे सेना में सीधे उच्च पदों पर भर्ती होने का सुनहरा अवसर मिलता है। 

इस तरह औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आई.टी.आई.) युवाओं के लिए एक बेहद सुनहरी जीवन प्रदान करने का सशक्त माध्यम है। एक तरह से आई.टी.आई. से प्रशिक्षण लेने के उपरान्त कमाई ही कमाई होती है। देश के समस्त व्यवसायिक संस्थानों में वर्ग विशेष नियमानुसार आरक्षण, वजीफा एवं अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने निकट के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से संपर्क किया जा सकता है। 

उच्च प्रशिक्षण अर्थात् सेंट्रल ट्रेनिंग इन्स्टीटच्यूट (सी.टी.आई.) अथवा एडवांसड ट्रेनिंग इन्स्टीटच्यूट (ए.टी.आई.) में प्रवेश करने के लिए प्रमुख उच्च प्रशिक्षण संस्थान मद्रास, हावड़ा, हैदराबाद, कानपुर, लुधियाना एवं मुम्बई में सम्पर्क किया जा सकता है। इन उच्च प्रशिक्षण संस्थानों में मुख्यतः एडवांस्ड टूल एण्ड डाई मेकिंग, एडवांस वैल्डिंग, एडवांस रेफ्रीजरेशन एण्ड एयरकंडिशनिंग, इलैक्ट्रीकल मैंटीनैंस, इलैक्ट्रोनिक मैंटीनेंस, हीट इंजनस, हाइड्रोलिक्स एण्ड पैनामैटिक, इण्डक्शन टू इंजीनियरिंग टैक्नोलॉजी, इण्डस्ट्रीयल कैमिस्ट्री, मशीन टूल्स मैंटीनेंस, मैट्रियल टैस्टिंग एण्ड इंस्पेक्शन, माइक्रो कम्प्यूटरर्स / इंडस्ट्रीयल कन्ट्रोल्स, प्रोसेस कन्ट्रोल इन्स्ट्रूमैन्टस, प्रोडक्सन टैक्नोलॉजी, टूल डिजायन, मैट्रोलॉजी एण्ड इंजीनियरिंग इंस्पैक्शन आदि व्यवसायों में उच्च प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। 


प्रवेश प्रक्रिया : 
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में विभिन्न व्यवसायों के लिए प्रवेश प्रक्रिया जून-जुलाई माह में शुरू हो जाती है। इसलिए जून के प्रथम अथवा दूसरे सप्ताह में अपने मनपसन्द औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से सम्पर्क कर लेना चाहिए। हरियाणा में अब आईटीआई में दाखिले की प्रक्रिया ऑनलाईन कर दी गई है। ऑनलाईन से ही फीस जमा हो जाती है। ऑनलाईन प्रक्रिया होने से अपने मनपसन्द औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में सहजता से दाखिला लिया जा सकता है और अपना भविष्य उज्ज्वल बनाया जा सकता है। 

आयु : 
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षणार्थी की आयु कम से कम 16 वर्ष होनी चाहिए।

योग्यता : 
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में अलग-अलग व्यवसायों में अलग-अलग योग्यता होती है। इसलिए संस्थान के प्रास्पेक्टस में पूर्ण विवरण देखा जाना चाहिए। मुख्यतः दसवीं, बारहवीं और स्नातक के आधार पर दाखिले दिये जाते हैं।

रोजगार के अवसर : 
व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त व्यक्ति के लिए विविध प्रकार के रोजगार हासिल करने के लिए व्यापक अवसर मौजूद होते हैं। बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाईयों में सहजता से नौकरी हासिल की जा सकती है। रेलवे, सेना, पुलिस, अर्ध-सैनिक बल आदि सरकारी विभागों और गैर-सरकारी संस्थानों में नौकरियां सहजता से हासिल की जा सकती हैं। अध्यापन के क्षेत्र में भी कैरियर बनाया जा सकता है। स्व-रोजगार के जरिए सफलता के द्वार आसानी से खोले जा सकते हैं। 

व्यवसायिक शिक्षा से संबंधित अधिक से अधिक जानकारी निम्नलिखत वैबसाइटस से ली जा सकती है:-








(राजेश कश्यप स्वतंत्र पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक हैं।)
राजेश कश्यप




स्थायी सम्पर्क सूत्र:
राजेश कश्यप
स्वतंत्र पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक
म.नं. 1229, पाना नं. 8, नजदीक शिव मन्दिर,
गाँव टिटौली, जिला. रोहतक
हरियाणा-124005
मोबाईल. नं. 09416629889
e-mail : rajeshtitoli@gmail.com

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